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यदि आप थोड़ी भी ज्योतिषीय ज्ञान रखते हैं तो आप जानते होंगे कि नाम, राशि व नक्षत्र की गणना करने के बाद ही हिंदू सनातन धर्म रखा जाता है। इसलिए इस प्रक्रिया को बाक़ायदा सनातन हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में शामिल किया गया है। इससे आप नामकरण संस्कार के महत्व को समझ सकते हैं इस भाग में हम मेष राशि में जन्मे जातकों के लिए शुभ व अच्छे नाम देने जा रहे हैं। लेकिन इससे पूर्व हम मेष राशि के नक्षत्र व राशि के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
मेष राशि
मेष राशि, राशि चक्र की पहली राशि मेष है। यह राशि अग्नि तत्व की है। इस राशि में जन्मे जातक अधिक बोलने वाले होते हैं। इनका स्वभाव उग्र होता है। इनके अंदर अहंकार भी विद्धमान होता है। मन चंचल होता है। परंतु ये बुद्धिमान होते हैं। धर्म के प्रति अधिक झुकाव रखते हैं। इनके भीतर चतुरता भी भरी होती है। सामाजिक स्तर भी ठीक रहता है। ये स्त्री से कम स्नेह रखते हैं। खाने पीने के मामले में ये नखड़ेबाज नहीं होते हर प्रकार के भोजन का लुत्फ़ उठाते हैं। इनके अंदर उदारता की भावना मौजूद होती है। परंतु एक बार क्रोधित हो जाएं तो जल्दी शांत नहीं होते हैं।
मेष राशि राशि (ब, व, ऊ) के बच्चो के नाम:
आपको बता दें कि हर राशि के लिए तीन नक्षत्रों को निर्धारित किया गया है। लेकिन नक्षत्रों की संख्या ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 है। इसलिए कुछ नक्षत्र ग्रहों के कारण अन्य राशियों के भी माने गए हैं। बात करें मेष राशि की इस राशि के नक्षत्र हैं अश्विनी, भरणी और कृतिका। इन नक्षत्रों में जन्मे जातक मेष राशि के माने जाते हैं। लेकिन आपको यहां एक और जानकारी दे दें कि शास्त्र में एक राशि के लिए नक्षत्र के नौ चरणों को तय किया गया है। इस नक्षत्र चरणों के जातकों का स्वभाव व व्यवहार एक दूसरे से अलग होगा। साथ ही इनके भविष्य फल भी काफी हद तक अलग रहेंगे। इसका प्रभाव जातकों पर अलग तरह से पड़ेगा।
अश्विनी नक्षत्र
इस नक्षत्र के देव अश्विनी कुमार व स्वामी केतु हैं। इस नक्षत्र में जन्में बच्चे उत्साही होते हैं। इनके अंदर गजब की इच्छाशक्ति होती है। ये निर्माण कार्य में अधिक रूचि लेते हैं। अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातकों का शारीरिक व मानसिक विकास अच्छा होता है। नक्षत्र स्वामी केतु हैं इसलिए जातकों का काम अचानक से बनता व बिगड़ता है। इसमें इन जातकों का कोई दोष नहीं होता है।
भरणी नक्षत्र
भरणी नक्षत्र के देवता यम हैं और नक्षत्र स्वामी शुक्र हैं। जिसके चलते इस नक्षत्र के जातक क्रोधी होते हैं। शुक्र के प्रभाव के कारण जातक भोग तथा विलास में अधिक रुचि दिखाते हैं। इन्हें शारीरिक सुख अधिक प्रिय होता है। शुक्र के प्रभाव से इनका संबंध अधिक समय तक चलता है। इनके संबंध में जल्दी बिगाड़ नहीं होता है। इन जातकों के अधिक मित्र बनते हैं। ये दोस्ती अच्छी तरह से निभाते हैं। कला से भी इन्हें प्रेम होता है।
कृतिका नक्षत्र
इस नक्षत्र के देव अग्नि व स्वामी सूर्यदेव हैं। इस नक्षत्र के जातकों में सृजनात्मक व संशोधनात्मक प्रवृत्ति पायी जाती है यानी की इनमें बनाने व किसी चीजों सुधारने करने की प्रवृत्ति होती है। इसके साथ ही जातक तेजवान ओजस्वी होते हैं। परंतु इनके अंदर अग्नि के समान क्रोध भी होता है। इसके साथ ही इनमें उदारता भी विद्धमान होती है। जिसके चलते जातक क्षमा कर देते हैं।
मेष राशि नक्षत्र वर्ण
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक मेष राशि के जातकों के नाम के अक्षर की शुरूआत चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ अक्षर से होती है। इन्हीं अक्षरों के आधार पर ही बच्चों का नाम रखा जाता है। इनमें कुछ ऐसे अक्षर हैं जिनके नाम तलाशना कठिन है। लेकिन हमने आपके इस काम को सरल किया है। यहां दिए गए नामों में से आप अपने बच्चे के लिए एक शुभ नाम तय करने में स्वयं को सहज पाएंगे।
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